Monday 30 January 2012

आराधन रस का लिए ये ऋतुराज बसंत

आराधन रस का लिए ये ऋतुराज बसंत

माघ शुक्ल का आगमन अति शीत का अंत 
नव दुर्गा के मनन से आरम्भ हुआ बसंत
जन्मोत्सव वागीश्वरी पंचम तिथि बसंत
आराधन रस का लिए ये ऋतुराज बसंत

दक्षिण-उत्तर पवन भी चलती शीतल मंद

दिनकर उत्तर में चले प्रखर भये हैं चंद
नवल धरा नव गगन पर नव रव रचते छंद
आराधन रस का लिए ये ऋतुराज बसंत

मनुज ह्रदय में प्रीत शर चला रहे अनंग

तरुण धरा हरितावरण लिए हुए है संग
स्फुटित हरित लता पता पे गा रहे बिहंग
आराधन रस का लिए ये ऋतुराज बसंत

पंकज में पग को रखे मुख मुस्काये मंद

कर वीणा ले शारदे स्वर लगते मकरंद
कोयल कूके डाल पर उर में छाये आनंद
आराधन रस का लिए ये ऋतुराज बसंत

योवन धरा का देख के देवलोक भी दंग

गलियों में उड़ रहा रंग होली की हुडदंग
सुरभि सुमनावली सी नूतन किसलय संग
आराधन रस का लिए ये ऋतुराज बसंत

सरसों से वसुधा सजी पीली चादर अंग

अमराई अंगड़ा रही मादक उडती गंध
चटकी कलियाँ फूल से बिखरे सारे रंग
आराधन रस का लिए ये ऋतुराज बसंत

अंग अंग जीवित हुआ आया नवल बसंत

सजनी साजन प्रेम-मय करते सजल बसंत
प्रेम भरा श्रंगार रस उर उर धवल बसंत
आराधन रस का लिए ये ऋतुराज बसंत

हरयाली चहुँ ओर है सोभित दिशा दिगंत

प्रेम ये राधा कृष्ण का धरती गगन अनंत
कंत निहारें छटा को और करे साधना संत
आराधन रस का लिए ये ऋतुराज बसंत

संदीप पटेल "दीप"

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