Sunday 29 January 2012

जहाँ शाख शाख उल्लू बैठे अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा ??

यहाँ चोर चोर ज़ाबित बैठे निजाम-ए-हिन्दुस्तां क्या होगा ??
जहाँ शाख शाख उल्लू बैठे अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा ??

जहाँ कदम कदम पे बम फूटे मंदिर मस्जिद का दम टूटे

जब रात नींद ना आती है तब ख्वाब-ए-शबिस्ताँ क्या होगा ??

यहाँ लूट मची है पैसों की, चलती हैं मिले विदेशों की

देशी का मिटता नाम यहाँ इस जैसा करिश्मा क्या होगा ??

बाबू जी टी वी देख रहे , संग में ले बीबी देख रहे

अब बच्चे आज के क्या जाने आलम-ए-परिस्ताँ क्या होगा ??

ना जाने कब वो जागेगा सोता सा पार्थ अब भारत का

है चिंता जिसे नौकरी की उसे रब्त-ए-खलिस्ताँ क्या होगा ??

यहाँ "दीप" जल रहे बुझे बुझे, फानूश हवा के यार हुए

माली ही चमन उजाड़ रहे तो हाल-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा ??

संदीप पटेल "दीप"

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