ऐ नाजनीन तेरी सादगी से बहुत हैरान हूँ
पहचान है मुझे तेरी
और मैं अब तलक अनजान हूँ
रंग कितने बिखरे है समेटूं किस किस को
गुम हो गया हूँ
और अपने ही शहर में मेहमान हूँ
लोग कहते हैं मुझे सुलझा हुआ हूँ बहुत
मैं जानता हूँ
बस तेरी बेरुखी से थोडा परेशान हूँ
तुम समझते होगे मुझको दीवाना लेकिन
तुम्हे मैं क्या बताऊँ
संजीदगी से जीता हुआ नादान हूँ
ना जाने तुझे कब समझ मैं आएगा
मैं पहले पटेल था
तेरे इश्क मैं भूला सा अब गुमनाम हूँ ..........SPS ..................
पहचान है मुझे तेरी
और मैं अब तलक अनजान हूँ
रंग कितने बिखरे है समेटूं किस किस को
गुम हो गया हूँ
और अपने ही शहर में मेहमान हूँ
लोग कहते हैं मुझे सुलझा हुआ हूँ बहुत
मैं जानता हूँ
बस तेरी बेरुखी से थोडा परेशान हूँ
तुम समझते होगे मुझको दीवाना लेकिन
तुम्हे मैं क्या बताऊँ
संजीदगी से जीता हुआ नादान हूँ
ना जाने तुझे कब समझ मैं आएगा
मैं पहले पटेल था
तेरे इश्क मैं भूला सा अब गुमनाम हूँ ..........SPS ..................
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