बेसब्र
मैं बेसब्र हूँ क्षणिकाओं की तरह ..............................
Thursday, 6 October 2011
मैंने आज आसमान नाप लिया
मैंने आज आसमान नाप लिया
घर के अन्दर से
बिलकुल खिड़की के जितना ही था
वैसा ही मन होता है
जब तक कैद रहेगा तब तक छोटा है
और उसकी उड़ान आसमान से कहीं ऊँची
और विस्तार अनंत है
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