Sunday, 9 October 2011

मेरी औकात से ज्यादा

मैं चराग हूँ मोहब्बत का
अब इस तरह से जलता हूँ
पतंगे हैं मेरे हर ओर
जला ना दूं इन्हें मैं डरता हूँ ..............SPS .........
मेरी औकात से ज्यादा तुझे चाहा था बेरहम
इसीलिए
अब तुझको झलने का मुझमे रहा ना दम

मैं संग हूँ मुझे अरमान था बनने का सनम
.. मुझे मालूम ना था संगदिल तेशा का करम

गुजरती इन हवाओं से तू पूछ लेना सनम
कब्र की ख़ाक लाई है ना रखना कोई भरम

जियेंगे कितना झेल झेल के अब तेरे सितम
लो शह हो गयी दिल की हुआ हर खेल ख़तम ...............SPS ...
 

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