"नारी"
जीवन की परिभाषा नारी
देवी नारी
माँ भी नारी
... कोमल चित और चितवन नारी
सुन्दर और सुशील भी नारी
पत्नी नारी
साली नारी
जीवन का आधार है नारी
जीवन का व्यवहार है नारी
जीवन के संस्कार है नारी
फिर क्यूँ फिरती मारी मारी
हाय हाय नारी
अबला नाम से परिचित नारी
मंद बुद्धि से परिणित नारी
क्यूँ फिरती अपमानित नारी
कुटिल सोच अनुमानित नारी
हीन भाव से ग्रसित है नारी
जन व्यवहार से त्रसित है नारी
क्यूँ होता है छल नारी संग
क्या इनकी कोई अपनी पहचान नहीं हो सकती
क्या वो बलवान नहीं हो सकती
क्या देश का उत्थान नहीं हो सकती
क्या उससे राह जीवन की आसान नहीं हो सकती
क्या घुट घुट के मरना ही नारी का जीवन है
तो क्यूँ करते हो झूठे संस्कार
क्यूँ करते हो माँ का सम्मान
क्यूँ करते हो बहनों से प्यार
उन्हें भी अबला ही बना के रखो
जब तुम्हारी आस्तित्व ही नारी से है तो क्यूँ ना उसको भी साथ में खड़ा किया जाए
उसे भी एक मौका दिया जाए
हाँ अपनी सोच सुधारे बिना ये संभव नहीं है
पहले अपनी सोच को क्यूँ ना सुधार लिया जाए
ऐसा इसीलिए है क्यूंकि आपकी सोच दूषित है
उसको सुद्ध किया जाए
उसे भी स्वतंत्र किया जाए जिसने आपको
स्वतंत्र जीवन जीने के लिए धरा पे अवतारा है
जिससे आपका आस्तित्व है
जिसने नौ महीने कोख में रख पीड़ा झेली है
जिसने प्रसव पीड़ा सही है
वह नारी दुर्बल कैसे हो गयी
क्यूँ ना उसे भी समाज में ऐसा दर्जा दिया जाए जिसकी वो हकदार है
उसे भी उन्मुक्त गगन में उड़ने दिया जाए
ताकि आने वाली पीढ़ी की सोच पर प्रहार किया जा सके
कब तक नारी ऐसे जीती रहेगी
क्यूँ ना मन की सुद्धि की जाए
उसे कुंद बुद्धि कहने वालो
उसे क्यूँ ना सुबुद्धि किया जाए
की वो भी कहीं वीराने में भी स्वक्छंद बिना डर के घूम सके
क्यूँ उसे घूर घूर के डराते सहमाते हो
अपने अन्दर झाँक के अपने शैतान को क्यूँ नहीं मार भगाते हो
पहले अपने शैतान को निकालिए
और देखिये ये वही नारी है जो घर में आपकी माँ भी है
बहन भी और कई ऐसे रिश्ते हैं जिन्हें केवल नारी ही पूर्ण कर सकती है
आओ एक नयी सोच को नयी दिशा दें
नारी का सम्मान देश का सम्मान है
जय हो नारी शक्ति "माँ, बहन, पत्नी, और ऐसे अनेकों रिश्ते जिनमे केवल तुम ही हो " के रूप में आपको बारम्बार प्रणाम है
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