Tuesday, 24 January 2012

क्यूँ खुश हो करूँ राष्ट्र गुणगान

दोस्तों गणतंत्र दिवस आने वाला है सोचा दिल का गुबार तो निकाल ही लूं
अन्यथा कलम ये ना कह दे की तुम्हारा लिखना व्यर्थ है
और दिल ये ना कह दे की ऐसे जी रहे हो तो जीना व्यर्थ है

देश के हालातों पर चलिए डालें एक नज़र
इस गणतंत्र  का आखिर सबपे गहरा है असर

इस गणतंत्र में सोच रहा
क्यूँ खुश हो करूँ राष्ट्र गुणगान
आखिर ये गणतंत्र मना
क्या होगा भारत देश महान ??

क्या गणतंत्र ये दिलवाएगा
भूखी मुनिया को रोटी आज
क्या गणतंत्र ये बचा सका
भारत माता की लुटती लाज

क्या गणतंत्र ये दिलवाएगा
आतंकवादी को फांसी आज
या मानव अधिकार आयोग को
फिर आ जायेगी खांसी आज

क्या गणतंत्र ये दिलवाएगा
बूढ़े मास्टर को पेंसन आज
या घूस खोर उस बाबू की
फिर बढ़ जायेगी टेंसन आज

क्या गणतंत्र ये बतलायेगा
है भ्रष्ट कौन इस तंत्र में आज
या फिर कोई नियम बनेगा
अतिआवश्यक जनतंत्र में आज

क्या गणतंत्र से बुझते हुए
कुछ घर के चूल्हे जलते हैं
या लोकतंत्र की बाहों में
केवल विषधर ही पलते हैं

क्या ये गणतंत्र बचा लेगा
बम फटने से निकली हुई जान
या बम फटने की घटना से
बढती है मेरे देश की शान

क्या गणतंत्र ये ब्याहेगा
बेटी गरीब की बिन दहेज़
या गठरी खाली हो जायेगी
जीवन भर से रखी सहेज

क्या गणतंत्र से रुकता है
आतंकवाद और नक्शलवाद
या गणतंत्र आरक्षण से
फैलाता है खुद जातिवाद

क्या गणतंत्र ये रोकेगा अब
भ्रष्टाचार और अत्याचार
या गणतंत्र ही करा रहा है
देश में सारे हाहाकार

इस गणतंत्र के रक्षक ही
घोटालों में उलझे रहते
और खादी पहने ये झूठे
चेहरों से सुलझे रहते

इस गणतंत्र से नहीं बची
भारत माता की लुटती लाज
वो चीख चीख के रोती है
क्यूँ ध्वज आरोहण होता आज

संदीप पटेल "दीप "

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