तेरी ना जुस्तजू करता तो बता क्या करता ?
आग सीने में ना भरता तो बता क्या करता ?
अब दौलत-ए-वक़्त ही रहा तुझे देने के लिए
ना करता वक़्त का खरचा तो बता क्या करता ?
हम तो बस हैं तेरी चाहत के तलबगार सनम
ना करता तेरी भी चरचा तो बता क्या करता ?
मेरी एक आरजू रही तुझे पाने की मगर
बिछड़ के तुझसे ना मरता तो बता क्या करता ?.................SPS ......................
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