Thursday, 29 March 2012

जमीं से तुम्हारी अमन बेच देंगे

निजामी ये रक्षक वतन बेच देंगे
धरा लुट गयी तो गगन बेच देंगे

सुहाता नहीं इनको जिन्दा परिंदा
ये नदियाँ पहाड़ औ चमन बेच देंगे

सजावट बनावट इन्हें भा रही है
ये खिल के बिखरते सुमन बेच देंगे

अगर आँख खोलोगे अपनी नहीं तो
ये भाभा कलाम औ रमन बेच देंगे

सजा लो अभी तुम नई कोई वेदी
ये बलिदान कर कर हवन बेच देंगे

हटा लो निगाहें अभी झूठ से तुम
ये वरना शहीदों के तन बेच देंगे

ये गुमराह सोहरत के अंधे हैं लोगो
सम्हाल जाओ वरना ये मन बेच देंगे

ये दहशत ये वहशत के अंधे पुजारी
जमीं से तुम्हारी अमन बेच देंगे


ये फिरते हैं फानूश बन के जहां में
बुझा "दीप" तुमको पवन बेच देंगे


संदीप पटेल "दीप"

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