आशिकी है अरे कोई अदावत नहीं है
उसूलों से आशिक की बगावत नहीं है
आशिक मचलता है तड़पता है यार को
जा किसी से दिल की हिकायत नहीं है
मिलो ना कभी लेकिन इंकार ना करना
तेरी बेरुखी की मुझको शिकायत नहीं है
हमारे यार है कुछ ऐसे ख्याल रखते हैं मेरा
मुझ पर किसी और की इनायत नहीं है
मैं गुनाह करता हूँ तुमसे मोहब्बत का बस
और लोग कहते हैं मुझमे सराफत नहीं है
पटेल जी रहा है बस तेरे दीद के दम पे
जमाने मैं ऐसे जीने की इजाजत नहीं है ...................SPS .........
No comments:
Post a Comment