Friday, 11 November 2011

आशिकी है अरे कोई अदावत नहीं है
उसूलों से आशिक की बगावत नहीं है

आशिक मचलता है तड़पता है यार को
जा किसी से दिल की हिकायत नहीं है

मिलो ना कभी लेकिन इंकार ना करना
तेरी बेरुखी की मुझको शिकायत नहीं है

हमारे यार है कुछ ऐसे ख्याल रखते हैं मेरा
मुझ पर किसी और की इनायत नहीं है

मैं गुनाह करता हूँ तुमसे मोहब्बत का बस
और लोग कहते हैं मुझमे सराफत नहीं है

पटेल जी रहा है बस तेरे दीद के दम पे
जमाने मैं ऐसे जीने की इजाजत नहीं है ...................SPS .........

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