Friday, 11 November 2011
आशिकी है अरे कोई अदावत नहीं है
उसूलों से आशिक की बगावत नहीं है
आशिक मचलता है तड़पता है यार को
जा किसी से दिल की हिकायत नहीं है
मिलो ना कभी लेकिन इंकार ना करना
तेरी बेरुखी की मुझको शिकायत नहीं है
हमारे यार है कुछ ऐसे ख्याल रखते हैं मेरा
मुझ पर किसी और की इनायत नहीं है
मैं गुनाह करता हूँ तुमसे मोहब्बत का बस
और लोग कहते हैं मुझमे सराफत नहीं है
पटेल जी रहा है बस तेरे दीद के दम पे
जमाने मैं ऐसे जीने की इजाजत नहीं है ...................SPS .........
मैं कब से दिल के अरमान दबाये बैठा हूँ
मैं कब से दिल के अरमान दबाये बैठा हूँ
दिल के समंदर में तूफ़ान छुपाये बैठा हूँ
यूँ तो बेरुखी है अदा में बड़े संगदिल हो तुम
मैं बेचारा संग को भगवान बनाये बैठा हूँ
...
तिश्नगी बुझती नहीं है दीद की तुम्हारी
फिर मुलाक़ात की शम्मा जलाये बैठा हूँ
सीने में आग है नज़रों में तलब इश्क की
मोहब्बत की दिल में आग लगाये बैठा हूँ
पटेल उसकी सादगी से घायल है जिगर
दर्द-ए-दिल कम नहीं होता
कहाँ कहाँ क्या क्या इलाज कराये बैठा हूँ ........................SPS .............
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